AI के दौर में शिक्षक की भूमिका
AI और औद्योगिक सभ्यता के इस दौर में मानवीय संवेदना और मूल्यों को बचाने में शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। तकनीकी प्रगति ने हमें ऐसे दौर में ला खड़ा किया है, जहाँ यंत्रों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का प्रभाव हमारे जीवन के हर पहलू पर दिखाई देता है। AI तेजी से बढ़ते समाज के लिए सूचनाओं का भंडार उपलब्ध करा सकता है, और बिना थके, बिना रुके काम कर सकता है। लेकिन क्या वह वास्तव में शिक्षक की जगह ले सकता है? इस पर विचार करना अनिवार्य हो जाता है। मनुष्य के जीवन में शिक्षक केवल सूचनाओं के आदान-प्रदान का साधन नहीं होता, वह मानवता का संरक्षक भी होता है। यंत्रों की दुनिया में उलझा हुआ मनुष्य अपनी संवेदनाओं को धीरे-धीरे खोता जा रहा है, और ऐसे समय में शिक्षक की भूमिका और भी गहरी हो जाती है। शिक्षक केवल तथ्यों और सिद्धांतों को नहीं पढ़ाता, वह छात्रों को सही और गलत का भेद करना सिखाता है। उसकी जिम्मेदारी केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि जीवन के उन मूल्यों का संचार करना है जो मनुष्य को एक संवेदनशील और जागरूक नागरिक बनाते हैं। AI बिना थकावट के असीमित मात्रा में जानकारी दे सकता है, लेकिन वह मा