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Showing posts from March 3, 2024

आओ बसंत सबके जीवन में

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आओ बसंत सबके जीवन में नित आओ। जब जब अवधि तुम्हारी आए सबका मन हर्षाओ। आओ बसंत सबके जीवन में नित आओ। रंग बिरंगे फूलों से धरती की सुषमा और बढ़ाओ। आओ बसंत सबके जीवन में नित आओ। कुंज गली और वन उपवन की शोभा में छा जाओ। सबके मन को हर्षित करके स्वयं हर्ष भी पाओ। आओ बसंत सबके जीवन में नित आओ। गेंदा गुड़हल चंप चमेली और सूरजमुखी खिलाओ। बनकर गुलाब की माला तुम धरती को स्वयं सजाओ। आओ बसंत सबके जीवन में नित आओ। उजड़ न जाए धरा यहां हल्के कदमों से जाना। जैसे समय मिले कभी फिर बसंत तुम आ जाना। ©योगेश मिश्र, वर्धा 12 फरवरी,2024 को नवभारत टाइम्स, नागपुर में प्रकाशित 

त्योहार

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त्योहार या त्यौहार कौन सा है शुद्ध रूप ... आइए इस शब्द की व्युत्पत्ति समझे जिससे पता चल सके कौन सा रूप शुद्ध है।  त्योहार : यह एक तद्भव शब्द है, जो कि संस्कृत के दो शब्दों के योग से बना है : तिथि और वार। ✍️✍️ तिथिवार >तिहिवार > तिहवार > तिवहार > तेवहार और उससे बना त्योहार। 🖊️🖊️ * नोट : लेकिन कुछ चमत्कारी भाषाविदों ने इसी प्रयोग को आधार बना कर त्योहार का त्यौहार भी बना दिया है।🤩😅  वैसे भोजपुरी में तिहुआर, और अवधी में तेवहार तथा मैथिली में तेहवार कहा जाता है। साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं गुजराती में तहेवार, पंजाबी में तिउवार आदि उच्चरित किया जाता है।