हिंदी कविता का विकास और निराला की कविता
हिंदी कविता का विकास और निराला की कविता योगेश कुमार मिश्र, एम.फिल. (जूनियर रिसर्च फेलो - विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) रीतिकाल की काव्य परम्परा का विकास तब अवरुद्ध हुआ , जब पूरे देश में अंग्रेजों का शासन प्रभावी हुआ। देशी - रियासतों का उसमें विलय हो जाने से , अब उन रियासतों के सहारे जीने वाले कवि भी न रहे और जब उनका खाते न थे, तो उनकी गाते भी कैसे ? इस प्रकार ‘ जिसका खाना, उसका गाना ’ की अवधारणा बंद हुई , तो एक विराट चेतना संपन्न साहित्य का प्राकट्य हुआ। यह स्वाभाविक था भी, क्योंकि अंग्रेजी सत्ता की क्रूरता से निपटना अकेले के बस की बात न थी। हिंदी कविता यहाँ अपनी लघुता त्यागकर नया मोड़ लेती है , केवल भाषा ही नहीं बदली है, विषय की सीमाओं में भी विस्तार हुआ। रीतिकालीन कवि जहाँ आश्रित राजा का बखान करने में अपनी कवित्व-शक्ति को जाया कर रहे थे , वहीं इन देशी राजाओं के सत्ताविहीन होने से साहित्य भी अपनी लघुता को त्यागता है। वह भी ‘साजी -चतुरंग सेन,अंग में उमंग धारी’ समस्त भारत को