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Showing posts from July 21, 2024

हिंदी की पहली कहानी : विचार एवं विस्तार

  हिंदी साहित्य के इतिहास पर गौर करें तो पाएंगे कि हिंदी की प्रथम कहानी को लेकर असमंजस की स्थिति दिखाई देती है। काफी समय तक किशोरीलाल गोस्वामी की कहानी 'इंदुमती' को पहली कहानी माना जाता रहा, लेकिन बाद में यह ज्ञात होने पर कि वह शेक्सपियर के टेम्पेस्ट नाटक का अनुवाद प्रतीत होती है। तब छत्तीसगढ़ मित्र में प्रकाशित कहानी एक टोकरी भर मिट्टी को हिंदी की प्रथम कहानी का दर्जा।मिला। इसके अतिरिक्त भी कुछ कहानियों के नाम पहली कहानी के रूप में कुछ आलोचकों ने उल्लिखित किया है। उनमें से आचार्य रामचंद्र शुक्ल की कहानी ग्यारह वर्ष के समय को भी स्थान दिया गया है, जो 1903 में प्रकाशित हुई। लेकिन प्रथम कहानी के रूप में आज सर्वाधिक स्वीकृति जिस कहानी को मिली, आइए हम उसे पढ़ते हैं,... एक टोकरी-भर मिट्टी : माधवराव सप्रे किसी श्रीमान् जमींदार के महल के पास एक गरीब अनाथ विधवा की झोंपड़ी थी। जमींदार साहब को अपने महल का हाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हुई, विधवा से बहुतेरा कहा कि अपनी झोंपड़ी हटा ले, पर वह तो कई जमाने से वहीं बसी थी; उसका प्रिय पति और इकलौता पुत्र भी उसी झोंपड़ी में मर गया था। पतोहू

अटल बिहारी वाजपेई की कविताएं

कदम मिलाकर चलना होगा बाधाएं आती हैं आएं  घिरें प्रलय की घोर घटाएं, पांवों के नीचे अंगारे,  सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों से हंसते-हंसते,  आग लगाकर जलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रुदन में, तूफानों में,  अमर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में, उन्नत मस्तक, उभरा सीना,  पीड़ाओं में पलना होगा ! कदम मिलाकर चलना होगा। उजियारे में, अंधकार में,  कल कछार में, बीच धार में, घोर घृणा में, पूत प्यार में,  क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में, जीवन के शत-शत आकर्षक,  अरमानों को दलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा। सम्मुख फैला अमर ध्येय पथ, प्रगति चिरन्तन कैसा इति अथ, सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ, असफल, सफल समान मनोरथ, सब कुछ देकर कुछ न मांगते, पावस बनकर ढलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा। कुश कांटों से सज्जित जीवन,  प्रखर प्यार से वञ्चित यौवन, नीरवता से मुखरित मधुवन,  पर-हति अर्पित अपना तन-मन, कुश कांटों से सज्जित जीवन,  प्रखर प्यार से वञ्चित यौवन, नीरवता से मुखरित मधुवन,  पर-हति अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में,  जलना होगा, गलना होगा। कदम मिलाकर चलन