AI के दौर में शिक्षक की भूमिका
AI और औद्योगिक सभ्यता के इस दौर में मानवीय संवेदना और मूल्यों को बचाने में शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। तकनीकी प्रगति ने हमें ऐसे दौर में ला खड़ा किया है, जहाँ यंत्रों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का प्रभाव हमारे जीवन के हर पहलू पर दिखाई देता है। AI तेजी से बढ़ते समाज के लिए सूचनाओं का भंडार उपलब्ध करा सकता है, और बिना थके, बिना रुके काम कर सकता है। लेकिन क्या वह वास्तव में शिक्षक की जगह ले सकता है? इस पर विचार करना अनिवार्य हो जाता है।
मनुष्य के जीवन में शिक्षक केवल सूचनाओं के आदान-प्रदान का साधन नहीं होता, वह मानवता का संरक्षक भी होता है। यंत्रों की दुनिया में उलझा हुआ मनुष्य अपनी संवेदनाओं को धीरे-धीरे खोता जा रहा है, और ऐसे समय में शिक्षक की भूमिका और भी गहरी हो जाती है। शिक्षक केवल तथ्यों और सिद्धांतों को नहीं पढ़ाता, वह छात्रों को सही और गलत का भेद करना सिखाता है। उसकी जिम्मेदारी केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि जीवन के उन मूल्यों का संचार करना है जो मनुष्य को एक संवेदनशील और जागरूक नागरिक बनाते हैं।
AI बिना थकावट के असीमित मात्रा में जानकारी दे सकता है, लेकिन वह मानव जीवन के जटिल और भावनात्मक पक्ष को समझने में सक्षम नहीं है। शिक्षण केवल एक यांत्रिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक संवाद है, एक अनुभव है जो शिक्षक और छात्र के बीच होता है। शिक्षक छात्रों के भीतर छिपे हुए विचारों, भावनाओं और संवेदनाओं को जगाता है। वह केवल पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाता, बल्कि हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। जब छात्र किसी कठिनाई का सामना करता है, तो शिक्षक न केवल समाधान देता है, बल्कि उसे यह भी सिखाता है कि जीवन में किस तरह से चुनौतियों का सामना करना है।
AI शिक्षा में सहायक हो सकता है, लेकिन शिक्षक वह है जो हमें सामाजिक मूल्यों और कर्तव्यों का बोध कराता है। वह हमारे भीतर की मानवीयता को विकसित करता है और हमें यह सिखाता है कि हमें इस तेजी से बदलती दुनिया में कैसे जीवित रहना है। शिक्षक का कार्य केवल परीक्षा के लिए तैयार करना नहीं है, बल्कि वह हमें वास्तविक जीवन के लिए तैयार करता है, जहाँ संवेदनाएँ, नैतिकताएँ, और सामाजिक उत्तरदायित्व अनिवार्य हैं।
आज की औद्योगिक सभ्यता में जहाँ हर ओर मशीनीकरण हावी है, शिक्षक का महत्व और भी बढ़ जाता है। वह हमारे जीवन में अनुशासन, विनम्रता और सहानुभूति का संचार करता है। उसकी भूमिका केवल अकादमिक नहीं, बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक भी है। शिक्षक वह व्यक्ति है जो हमें न केवल अपने लिए, बल्कि समाज के लिए भी जिम्मेदार नागरिक बनाता है।
अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि तकनीक चाहे कितनी भी उन्नत हो जाए, शिक्षक की भूमिका अपरिवर्तनीय रहेगी। वह केवल सूचनाओं का भंडार नहीं, बल्कि जीवन के उस पहलू का प्रतिनिधित्व करता है जो हमें सही मायने में मनुष्य बनाता है। इसलिए, हमें यह समझना होगा कि AI शिक्षक की जगह नहीं ले सकता, क्योंकि शिक्षक वह है जो हमारे अंदर छिपी मानवता को उभारता है और हमें संवेदनशीलता, सहानुभूति और कर्तव्यनिष्ठा की राह दिखाता है।
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