वृहदारण्यक उपनिषद् : प्रमुख सूक्त
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।। © वृहदारण्यक उपनिषद् अर्थात् : वह (परमात्मा) पूर्ण है, यह(सृष्टि) भी पूर्ण है। पूर्ण में से पूर्ण की उत्पत्ति होती है। पूर्ण में से पूर्ण लेने पर भी पूर्ण ही शेष रहता है।।