हिंदी साहित्य : शोध प्रस्ताव की रूपरेखा / सिनाप्सिस तैयार करने के तरीके

 

शोध प्रस्ताव की रूपरेखा

 

निराला के गद्य साहित्य में शिक्षा-दृष्टि

प्रस्तुतकर्ता

योगेश कुमार मिश्र 

अनुक्रमांक : 123456

सत्र : 2019-20





 

निराला के गद्य साहित्य में शिक्षा-दृष्टि

 

प्रस्तावना :- 

हिंदी साहित्य जगत में सूर्यकांत त्रिपाठीनिरालाका साहित्य विविधताओं से परिपूर्ण है निराला ने हिंदी साहित्य के विविध आयामों को अपने सृजन से समृद्ध किया है यही कारण है कि प्रायः आलोचक या पाठक उनकी कुछ ही विधाओं तक सीमित रह जाते हैं उनके संपूर्ण साहित्य का अवलोकन नहीं कर पाते हैं निराला काव्य-सृजन में जितने सफल रहे हैं, उतनी ही सफलता उन्होंने गद्य लेखन में भी हासिल की है यह बात अलग है कि उन्हें सर्वाधिक ख्याति कवि रूप में ही मिली निराला के उपन्यासों, कहानियों तथा निबंधों पर अब भी विचार करने की जरूरत है; क्योंकि जिन लोगों ने निराला के गद्य साहित्य पर लेखन भी किया वे ऊपरी सतह से ही गुजर गए हैं अतः उनके गद्य साहित्य में निहित विचारों को प्रकाश में लाने की आवश्यकता बनी हुई है उनके उपन्यासों को रोमांटिक उपन्यास या अग्रिम भुगतान की उपज कहकर, हाशिए पर नहीं किया जा सकता है निराला के उपन्यासों तथा कहानियों को पढ़ते हुए गौर करेंगे तो यह दिखेगा कि उसमें निहित विचार उनकी दूरदृष्टि के परिचायक हैं निराला के उपन्यासों में चित्रित शिक्षा-दृष्टि, उनकी दूरदर्शिता को दर्शाती है जब देश में किसानों, स्त्रियों तथा मजदूरों एवं दलितों को शिक्षा की भारी आवश्यकता थी, ऐसे समय में निराला अपने कथा साहित्य तथा निबंधों में उनकी शिक्षा के लिए चिंतन करते दिखाई पड़ते हैं वे देश की शिक्षा व्यवस्था पर बराबर दृष्टि रखते हैं निराला ने अपने उपन्यासअप्सरा’, ‘अलका’, ‘निरुपमा’, ‘कुल्लीभाटतथाकाले कारनामेमें शिक्षा संबंधी विचारों की अभिव्यक्ति की 'अप्सराउपन्यास में चंदन यह कहते हुए कनक से एक हजार रूपए माँगता है कि उसने हरदोई जिले में, एक राष्ट्रीय विद्यालय खोला है, उसकी मदद के लिए

अलकाउपन्यास में निराला की शिक्षा-दृष्टि उभरकर सामने आती है इसमें उन्होंने गाँव के किसान-बालकों की शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए विजय जैसे पात्र का सृजन निराला ने किया है उपन्यास के अन्य पात्र भी लोगों को साक्षर करने की दिशा में प्रयासरत दिखते हैं निरूपमाउपन्यास में भारतीय विश्वविद्यालयों पर भी निराला ने दृष्टि डाली है नियुक्ति के प्रतिमानों : जातिवाद, धर्मवाद, परिवारवाद की ओर संकेत इस उपन्यास में किया गया है लंदन की डी.लिट्. उपाधि धारक कुमार को बूट पॉलिश करता हुआ दिखाकर निराला ने कई संकेत दिए हैं ।इस प्रकार के सामाजिक परिवर्तन को दर्शाने का साहस कोई अन्य रचनाकार नही रखता । यह शक्ति केवल निराला में दिखाई देती है, जो एक डी.लिट्. उपाधि धारक ब्राह्मण पुत्र को चौराहे पर बैठाकर बूट पॉलिश करवाते हैं ।  ‘कुल्लीभाटमें निराला कुल्ली के द्वारा अछूतों की शिक्षा के लिए किए जा रहे प्रयास की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया है कि उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों की कुल्ली के द्वारा चलाई जा रहीअछूतों की पाठशालाके प्रति कोई सहानुभूति नहीं है निराला ने इन अधिकारियों की मानसिकता को रेखांकित किया है काले कारनामेउपन्यास में मनोहर द्वारा शूद्रों के लिए काशी में चलाई जा रही पाठशाला का वर्णन कर, निराला ने उन्हें भी परंपरागत ज्ञान का अधिकारी बताया । निराला के उपन्यासों में शिक्षा के लिए सभी को समान अवसर की बात उभरकर सामने आती है उन्हें किसी भी प्रकार का भेदभाव स्वीकार नहीं, चाहे वह स्त्री-पुरुष के आधार पर हो या सवर्ण तथा दलित के आधार पर

निराला ने अपनी कहानियों में शिक्षा दृष्टि को अभिव्यक्ति दी है चतुरी चमार कहानी में निराला स्वयं चतुरी के लड़के अर्जुन को पढ़ाने का कार्य करते हैं पद्मा और लिली कहानी में पद्मा शिक्षा से हासिल आत्मविश्वास के कारण अपने निर्णय पर अडिग रहती है वह बालिकाओं को पढ़ाने का कार्य करती है पद्मा के संदर्भ में निराला ने लिखा है कि-जिस जाति के विचार ने उसके पिता को इतना दुर्बल कर दिया था, उसी जाति की बालिकाओं को अपने ढंग पर प्रशिक्षित कर, अपने आदर्श पर लाकर, पिता की दुर्बलताओं से प्रतिशोध लेने का उसने निश्चय कर लिया निराला ने शिक्षा से स्त्रियों में विकसित आत्मविश्वास को अपनी कहानियों में दर्शाया है निराला की कहानियों के पात्र शिक्षित युवा तथा युवतियाँ हैं वे जाति-बंधन की परंपरा को तोड़कर अंतर्जातीय संबंधों को बढ़ावा देते हैं उनकी रुचि नौकरी में नहीं होती, वे लोगों को साक्षर करने की दिशा में कार्य करते हैं, जो उस समय की मांग के रूप में देखी जा सकती है श्यामा कहानी में निराला ने शिक्षा के लिए किए जाने वाले संघर्ष को रेखांकित किया है

निराला ने अपने निबंधों में शिक्षा के संबंध में गहन विचार व्यक्त किए हैं देश में शिक्षा की आवश्यकता को रेखांकित किया है किसानों तथा स्त्रियों की शिक्षा को आवश्यक बताते हुए, अपने ढंग से उसके समाधान पर विचार प्रस्तुत करते हैं बाहरी स्वाधीनता और स्त्रियाँ निबंध में स्त्री शिक्षा के संदर्भ में बात कही है शिक्षा के अभाव में उनके जीवन की दुरूहता को रेखांकित किया निराला ने देहात में स्कूलों की कमी पर चिंता प्रकट किया इसका समाधान करते हुए निराला लिखते हैं कि-हरएक गाँव से प्रतिदिन जितनी भीख निकलती है, यदि उतना रोज निकालकर रख लिया जाय, तो गाँव में ही एक छोटी सी पाठशाला खोल दी जा सकती है एक शिक्षक का गुजर उससे हो जाएगा । … बालिकाओं को लिखने-पढ़ने का गाँव में ही प्रबंध हो सकता है इस तरह उनके प्रति सच्चा न्याय गाँव वाले कर सकते हैं निराला ने अपने निबंधों में शिक्षा के संदर्भ में सुझावों को गंभीरतापूर्वक व्यक्त किया है, जिन्हें आज भी रेखांकित करने की आवश्यकता है । काम-काजी मजदूरों की शिक्षा के बारे में निराला विचार करते हैं । यह वर्ग दिन में आजीविका के कार्यों में व्यस्त रहता हैं, इसलिए उन्हें नैश पाठशाला द्वारा शिक्षित करने की बात निराला ने कही । 

 

किसान और उनका साहित्य  निबंध में निराला लिखते हैं कि जब तक किसानों और मजदूरों का उत्थान न होगा, तब तक सुख और शांति का केवल स्वप्न देखना है निराला ने रामकृष्ण मिशन के संन्यासियों द्वारा बंगाल में किसानों की शिक्षा के लिए किए जा रहे प्रयास को सर्वोत्तम बताया उनके कार्यों के संदर्भ में निराला ने लिखा है कि-गाँव तथा पड़ोस के बालकों को प्राप्त धन के अनुसार बाकायदा, छोटा या बड़ा भवन-निर्माण करके उसमें या किराए के या कुछ दिनों के लिए मिले हुए मकान में शिक्षा दे रहे हैं, कहीं-कहीं बालिकाओं के लिए भी प्रबंध है निराला शिक्षा को देश के विकास के लिए आवश्यक समझ रहे थे उनका मानना था कि सामाजिक विषमता को दूर करने के लिएशिक्षासशक्त हथियार का कार्य करेगी वह महसूस करते हैं कि शोषित वर्ग शिक्षित होने पर अपने अधिकारों की लड़ाईयाँ स्वतः लड़ लेगा; क्योंकि शिक्षा से उनमें आत्मविश्वास पैदा हो सकेगा उस समय के महापुरुषसमाज-सेवी तथा साहित्यकार इस बात को महसूस कर रहे थे कि राजनैतिक आजादी मात्र मिल जाने से सब कुछ ठीक होने वाला नहीं है, जब तक कि शिक्षा की पहुँच सभी वर्गों तक न हो सकेगी, सामाजिक विषमता बनी रहेगी अतः सभी शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयासरत दिखते हैं इस दृष्टि से हिंदी साहित्य में शिक्षा के स्वर को सशक्त बनाने में निराला का महत्वपूर्ण योग रहा है इस बात को रेखांकित करने की आवश्यकता है

 

समस्या-निरूपण :-

शिक्षा समाज के विकास का प्रमुख कारक है शिक्षा के अभाव में जीवन की दुरूहता को महसूस किया जा सकता है मानव जीवन में  विकसित सभ्यता एवं संस्कृति का प्रमुख आधार शिक्षा ही रही है समाज के विकास को अनवरत रखने के लिए सभी का शिक्षित होना आवश्यक है एक सभ्य, संपन्न एवं विकसित राष्ट्र के निर्माण की संकल्पना शिक्षा के अभाव में नहीं की जा सकती है अतएव ऐसे प्रसंगों का उठाया जाना पूर्णतया प्रासंगिक होगा, जो शिक्षा के प्रचार-प्रसार में सहायक हो निराला के गद्य साहित्य को उतनी महत्ता नहीं दी गई, उतनी गंभीरता के साथ उसे नहीं देखा गया, परिणामस्वरूप एक सफल गद्यकार के रूप में वह स्थापित न हो सके

 

उद्देश्य :-

निराला के गद्य में निहित विचारों की गंभीरता तथा उसमें चित्रित मानवतावादी दृष्टि जो आज भी प्रासंगिक हो सकती हैं, जरूरत है उन्हें उजागर करने की निराला की शिक्षा दृष्टि को इस शोध के माध्यम से सार्वजनिक बनाना है, जो आज भी महत्त्वपूर्ण और प्रासंगिक है

 

उपलब्ध शोध साहित्य समीक्षा :-

 निराला की कविताओं पर तो अनेक शोध कार्य हुए हैं, लेकिन गद्य साहित्य पर जो शोध कार्य हुए हैं, उपन्यासों से संबंधित कार्य हैं जिनमें उनके संवेदना और शिल्प पर बात की गई है जहाँ तक मुझे ज्ञात हो सका है कि- निराला के गद्य साहित्य में शिक्षा दृष्टि को रेखांकित करने का प्रयास अभी तक किसी के द्वारा नहीं किया गया है शिक्षा की महत्ता को देखते हुए इस विषय पर शोध कार्य करना अनुचित न होगा  

 

शोध प्रविधि :- 

प्रस्तुत शोध के अंतर्गत निराला के गद्य साहित्य का समय, समाज और राष्ट्र के परिप्रेक्ष्य में शैक्षिक दृष्टिकोण के अंतर्गत विवेचन-विश्लेषण किया जाएगा इसमें यथासंभव तुलनात्मक शोध प्रविधि का ही प्रयोग किया जाएगा

 

प्रस्तावित अध्याय विन्यास :-

1.      निराला साहित्य के विविध आयाम

2.      निराला के उपन्यासों में शिक्षा दृष्टि

3.      निराला की कहानियों में शिक्षा दृष्टि

4.      निराला के निबंधों में शिक्षा दृष्टि

5.      निराला के गद्य का शिल्पगत वैशिष्ट्य

 

उपसंहार : ***

 

संदर्भ-ग्रंथ सूची

आधार ग्रंथ सूची :-

निराला,सूर्यकांत त्रिपाठी.(2015).अलका. नई दिल्ली : राजकमल पेपरबैक्स.

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निराला,सूर्यकांत त्रिपाठी.(2016).बिल्लेसुर बकरिहा. नई दिल्ली : राजकमल पेपरबैक्स.

निराला,सूर्यकांत त्रिपाठी.(2018).अप्सरा. नई दिल्ली : राजकमल पेपरबैक्स.

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