कलम का सम्राट : मुंशी प्रेमचंद
कलम का सम्राट : मुंशी प्रेमचंद
योगेश कुमार मिश्र
एक ऐसा साहित्यकार जिसने अपने संपूर्ण जीवन को कलम के साथ बिताया और उसकी पहचान उसकी कलम में निहित है। कलम की ताकत से उसने हिंदी साहित्य पर अपना साम्राज्य स्थापित किया, उसे यदि कलम का सम्राट कहा जाय तो अतिशयोक्ति न होगी।
मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कलम की ताकत से समाज को निर्देशित करने का कार्य किया। यदि हम विधाओं की विविधता के आधार पर प्रेमचंद को देखें तो वे मुख्यतः कथाकार के रूप में ही दिखाई पड़ेंगे, लेकिन विषय की विविधता के आधार पर उनके साहित्य का मूल्यांकन करें तो मानव जीवन का कोई ऐसा पहलू नहीं होगा जो उनकी दृष्टि से ओझल रह गया हो। कहने का आशय यह कि सीमित विधा में ही असीम पहलुओं को चित्रित करने का कार्य मुंशी प्रेमचंद ने किया।
मुंशी प्रेमचंद की सहानुभूति समाज के प्रत्येक वर्ग के साथ जुड़ी हुई है, यह जरूर है कि वे आशावादी रचनाकार हैं, जिससे उनके ऊपर आदर्शवादी होने का आरोप लग जाता है। लेकिन सच तो यह है कि यथार्थ के नाम पर उन्होंने समाज के घिनौने और विकृत रूपों को साहित्य में दर्शाने का प्रयास नहीं किया। उन्होंने समाज को वही दिया जो देने योग्य था, जो ग्रहण करने लायक था । उनके साहित्य का पाठक कभी हताश या निराश नहीं होगा। वह विषम परिस्थितियों में भी अपने धैर्य को बनाए रखता है, अपनी असफलताओं से समाज का विद्रोही नहीं बनेगा, क्योंकि उसे अपने कर्म पर आस्था है । उसकी आस्था उसे जीवन पर्यंत सत्य और आदर्श के मार्ग पर चलने को प्रेरित करती है ।
एक साहित्यकार का वास्तविक कर्तव्य यही होना चाहिए, जिसका संपूर्ण निर्वहन प्रेमचंद के साहित्य में दिखाई देता है।।
(योगेश मिश्र, गोरख पाण्डेय छात्रावास, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र)
संपर्क : 6394667552 ईमेल : yogeshmishra154@gmail.com
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